ब्लॉग में आने पर आपकी संख्या :-

शिव शंकर का विलक्षण प्रेम

ॐ नमः शिवाय
 शिव शंकर का विलक्षण प्रेम

संसार में जो कुछ भी एश्वर्य, माधुर्य, सौंदर्य, शक्ति, श्री,शौर्य,सुख, तेज, सम्पति, स्नेह, प्रेम, अनुराग, भक्ति, ज्ञान, विज्ञानं, रस, तत्त्व,गुण, महात्म्य आदि दीखते हैं , सब वहीँ से आता है,
जहाँ इनका अटूट भंडार है.  अनादि काल से अब तक इस भंडार में से लगातार इन सारी चीज़ों का वितरण हो रहा है और अनादि काल तक होता रहेगा. परन्तु फिर भी उस भंडार का एक तिल भी कम नहीं होता. वो सदा पूर्ण, अनंत और असीम ही रहेगा. जानते हो वो भंडार कहाँ है और उसका स्वरुप क्या है?

वो भंडार है : भगवान - मेरे शिव शंकर और वो सभी जगह हैं. तुम जो उनका चिंतन छोड़ कर विषय चिन्तन करते हो , एक मात्र उन्हें ही पाने की कामना न रख कर विषयों की कामना करते हो, उन्ही के बल पर सदा निर्भर न रह कर जगत के जड़ बल का आश्रय ग्रहण करना चाहते हो, उनके कृपा कण से ही अपने को परम धनी न मान कर दुनिया की दिखावटी और प्रति क्षण नष्ट होती हुई  धन सम्पदा का मोह करते हो. उनके दासत्व और प्रेम की अनंत कीर्ति का तिरस्कार करके दीवानी दुनिया में नाम कमाना चाहते हो और उनके नित्य सान्निध्य में रहने पर भी अपने को असहाय समझते हो? इस से येही सिद्ध होता है की तुमने अब तक मेरे शिव शंकर के महत्व और प्रभाव की ओर बहुत ही कम ध्यान दिया है. 

मेरे शिव शंकर सच्चिदानंदघन, परम पवित्र और ईश्वरों के भी इश्वर हैं - परम प्रभु हैं, सब में, सब जगह, सर्वदा और सर्वथा व्याप्त हैं. वे तुम्हारे अपने हैं, तुम उनके परम आत्मीय हो, वे नित्य तुम्हारे साथ सोते जागते, उठते बैठते, खाते पीते - सदा ही रहते हैं, एक क्षण के लिए भी तुमसे अलग नहीं होते हैं.

मेरे शिव शंकर को जानो, देखो और पहचानो. तुम्हारे आभाव मिट जायेंगे, तुम्हारे सब दुखों का सदा के लिए नाश हो जायेगा, तुम्हे परम शांति मिल जाएगी. फिर जगत की कोई भी स्तिथि - मृत्यु भी तुम्हे डरा नहीं सकेगी. तुम नित्य बिना दर के और सर्वथा आनंद से परिपूर्ण हो जाओगे

मेरे शिव शंकर को जानने, देखने और पहचानने का सब से पहला साधन है श्रद्धा. जिन अनुभवी महात्माओं और शास्त्रों ने भगवन को जानने, देखने और पहचानने के जो साधन बतलाये हैं, उन पर श्रद्धा करो. ज्यूँ ज्यूँ तुम्हारी श्रद्धा बढ़ेगी , त्यूं ही त्यूं तुम्हे भगवान का प्रकाश समीप आता हुआ दिखाई देगा. तुम अपने अन्दर एक प्रकार के आनंद और शांति का अनुभव करोगे. जैसे जैसे  भगवान के प्यार में तुम्हारा  मन अधिकाधिक लगता जायेगा और ज्यूँ ज्यूँ प्यार बढेगा त्यूं त्यूं तुम भगवान को कुछ कुछ जानने, देखने और पहचानने लगोगे.

मन तभी तक भगवान में नहीं लगता जब तक की उसे आनंद नहीं आता. जिस दिन थोडा भी आनंद आ जायेगा उस दिन से तो फिर ये वहां से हटाये भी हटना नहीं चाहेगा. क्यूँ भगवद प्यार के आनंद का एक कण की भी जगत के बड़े से बड़े आनंद की तुलना नहीं हो सकती. वह आनंद अत्यंत विलक्षण होता है. मेरे शिव शंकर के प्यार में खोते जाओ और अपने जीवन को आनंद और प्रीति से परिपूर्ण कर लो. 

Visit Us at :-
 www.worldofsaigroup.blogspot.com
www.worldofsaigroup.com
www.umamahadev.blogspot.in
www.facebook.com/wosgrp.aaosai
www.facebook.com/groups/saikahoney
www.facebook.com/worldofsaigroup
E-Mails :- saikahoney@saimail.com
wosgrp@saimail.com

For Daily SAI SANDESH By E-mail:-
www.groups.google.com/group/worldofsai/boxsubscribe?p=FixAddr&email

For Daily Sai Sandesh On Your Mobile

Type ON WORLDOFSAIGROUP
In your create message box
and send it to
+919870807070