ब्लॉग में आने पर आपकी संख्या :-

हिंगलाज भवानी शक्तिपीठ

ॐ नमः शिवाय


हिंगलाज माता मंदिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य की राजधानी कराची से १२० कि.मी.
उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट पर ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय क्षेत्र में हिंगलाज में स्थित एक हिन्दू मंदिर है। यह इक्यावन शक्तिपीठ में से एक माना जाता है, और कहते हैं कि यहां सती माता के शव को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर यहां उनका ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था।

इतिहास

एक लोक गाथानुसार चारणों की प्रथम कुलदेवी हिंगलाज थी,जिसका निवास स्थान पाकिस्तान के बलुचिस्थान प्रान्त में था। हिंगलाज नाम के अतिरिक्त हिंगलाज देवी का चरित्र या इसका इतिहास अभी तक अप्राप्य है। हिंगलाज देवी से सम्बन्धित छंद गीत चिरजाए अवश्य मिलती है। प्रसिद्ध है कि सातो द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास रचाती है और प्रात:काल सब शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती है-


सातो द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास ।
प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर में ।।


ये देवी सूर्य से भी अधिक तेजस्वी है, और स्वेच्छा से अवतार धारण करती है। इस आदि शक्ति ने ८वीं शताब्दी में सिंध प्रान्त में मामड़(मम्मट) के घर में आवड देवी के रूप में द्वितीय अवतार धारण किया। ये सात बहिने थी-आवड, गुलो, हुली, रेप्यली, आछो, चंचिक, और लध्वी। ये सब परम सुन्दरियां थी। कहते है कि इनकी सुन्दरता पर सिंध का यवन बादशाह हमीर सुमरा मुग्ध था। इसी कारण उसने अपने विवाह का प्रस्ताव भेजा पर इनके पिता के मना करने पर बादशाह ने उनको कैद कर लिया। यह देखकर छ: देवियाँ टू सिंध से तेमडा पर्वत पर आ गईं। एक बहिन काठियावाड़ के दक्षिण पर्वतीय प्रदेश में 'तांतणियादरा' नामक नाले के ऊपर अपना स्थान बनाकर रहने लगी। यह भावनगर कि कुलदेवी मानी जाती हैं, ओर समस्त काठियावाड़ में भक्ति भाव से इसकी पूजा होती है। जब आवड देवी ने तेमडा पर्वत को अपना निवास स्थान बनाया तब इनके दर्शनाथ अनेक चारणों का आवागमन इनके स्थान कि और निरंतर होने लगा और इनके दर्शनाथ हेतु लोग समय पाकर यही राजस्थान में ही बस गए। इन्होने तेमडा नाम के राक्षस को मारा था, अत: इन्हे तेमडेजी भी कहते है। आवड जी का मुख्य स्थान जैसलमेर से बीस मील दूर एक पहाडी पर बना है। १५वीं शताब्दी में राजस्थान अनेक छोटे छोटे राज्यों में विभक्त था। जागीरदारों में परस्पर बड़ी खींचतान थी और एक दूसरे को रियासतो में लुट खसोट करते थे, जनता में त्राहि त्राहि मची हुई थी। इस कष्ट के निवारणार्थ ही महाशक्ति हिंगलाज ने सुआप गाँव के चारण मेहाजी की धर्मपत्नी देवलदेवी के गर्भ से श्री करणीजी के रूप में अवतार ग्रहण किया ।


आसोज मास उज्जवल पक्ष सातम शुक्रवार ।
चौदह सौ चम्मालवे करणी लियो अवतार ।।

Kindly Provide Food & clean drinking Water to Birds & Other Animals,
This is also a kind of SEWA.

For Daily SAI SANDESH Click at our Group address :
http://groups.google.com/group/shirdikesaibaba/boxsubscribe?p=FixAddr&email

Current email address :
shirdikesaibaba@googlegroups.com

Visit us at :

  
For Daily Sai Sandesh Through SMS:
Type ON SHIRDIKESAIBABAGROUP
In your create message box
and send it to
+919870807070
Please Note : For Donations
  Our bank Details are as follows :  
 A/c-Title -Shirdi Ke Sai Baba Group  
 A/c.No-0036DD1582050
 IFSC -INDB0000036
IndusInd Bank Ltd,
N-10/11,Sec-18,
Noida-201301.
For more details Contact : Anand Sai (Mobile)+919810617373
or mail us

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.